थमेगी महंगाई, जमाखोरी पर लगाम--उत्तराखंड

कैबिनेट के फैसले:
प्रदेश में 300 करोड़ से ज्यादा निवेश पर बड़े उद्योगों को दस वर्षो तक वैट में छूट
-बीआरओ-आइटीबीपी को सीमांत क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण को खनन पट्टे की अनुमति
-आपदा के बाद विश्व बैंक और एडीबी से पुनर्निर्माण को मिली धनराशि के इस्तेमाल की योजना को मंजूरी
-भराड़ीसैंण में विधान भवन और अवस्थापना निर्माण का जिम्मा राज्य संपत्ति विभाग को
-वन क्षेत्रों में प्राकृतिक संपदाओं के दोहन व खनिज लाटों के आवंटन को पुरानी नीति को हरी झंडी
-औद्योगिक विकास से अलग हुआ लघु, मध्यम और सूक्ष्म उद्योग
-राज्य में होटलों-ढाबों में पके हुए भोजन पर अब सिर्फ पांच फीसद वैट
-भारतीय स्टांप अधिनियम 1899 में संशोधन को मंजूरी
जागरण ब्यूरो, देहरादून
प्रदेश में महंगाई पर काबू करने को जरूरी वस्तुओं की कालाबाजारी और जमाखोरी पर रोक लगेगी। खासकर खाद्यान्न, तिलहन-दलहन और चीनी की जमाखोरी प्रतिबंधित करते हुए नियंत्रण आदेश (कंट्रोल आर्डर) बहाल किए गए हैं। कैबिनेट ने गुरुवार को उत्तराखंड अनुसूचित वस्तु व्यापारी (लाइसेंस देना और अपसंचयन पर निर्बधन) आदेश-2013 को मंजूरी दे दी। अब निर्धारित से ज्यादा स्टाक रखने पर व्यापारी का लाइसेंस निरस्त कर कार्रवाई की जाएगी। बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण के लिए उठे इस कदम से प्रदेश में इंस्पेक्टर राज अथवा लाइसेंस प्रथा की गाज व्यापारियों पर पड़ेगी। एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में प्रदेश में 300 करोड़ रुपये से अधिक का नया निवेश करने वाले उद्योग को 10 वषरें के लिए वैट में छूट दी जाएगी।
भ्रष्टाचार और महंगाई के मुद्दे पर दिल्ली समेत चार राज्यों में पटखनी खाने के बाद उत्तराखंड में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार ऐहतियात बरतती नजर आ रही है। 30 अगस्त, 2006 को केंद्र की ओर से आवश्यक वस्तुओं के मूल्यों में निरंतर वृद्धि देखते हुए कंट्रोल आर्डर लागू करने के निर्देश राज्यों को दिए गए थे। वर्ष 2009 से प्रदेश में कंट्रोल आर्डर बहाल करने की कसरत जारी रहने के बावजूद पिछली भाजपा सरकार ने इस पर फैसला स्थगित रखा था। वर्ष 2012 में प्रदेश की सत्ता पर दोबारा काबिज हुई कांग्रेस की सरकार ने भी डेढ़ साल से ज्यादा वक्त गुजरने के बावजूद इस मामले में चुप्पी साधे रखी। अब महंगाई पर लगाम कसने को उक्त आदेश को ठंडे बस्ते से बाहर निकाला गया है। आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के प्रावधानों के तहत
उक्त आदेश में आबादी के आधार पर शहरों का वर्गीकरण करते हुए स्टाक की मात्रा तय की गई है। दस लाख या ज्यादा आबादी वाले शहर 'क', तीन लाख से 10 लाख की आबादी वाले शहर 'ख' और तीन लाख से कम आबादी वाले शहर 'अन्य शहर' श्रेणी में शामिल किए गए हैं।
नए आदेश के मुताबिक निर्धारित से ज्यादा स्टाक रखने पर संबंधित व्यापारी का लाइसेंस रद्द या निलंबित किया जाएगा। जमानत राशि जब्त की जाएगी। अन्य कार्रवाई भी प्रस्तावित की गई है। कार्यवाही की जद में आने वाले व्यापारी को अपील का मौका भी दिया जाएगा। वह कार्यवाही के 30 दिन के भीतर खाद्य आयुक्त के समक्ष अपील कर सकेगा।
कैबिनेट ने अन्य महत्वपूर्ण फैसलों में सीमा सड़क संगठन एवं आइटीबीपी की ओर से प्रदेश के सीमांत क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगी सड़कों के निर्माण कार्य के लिए खनन पट्टा देने का निर्णय लिया। वन क्षेत्रों में प्राकृतिक संपदाओं का दोहन एवं खनिज लाटों का पारदर्शी एवं निष्पक्ष आवंटन के लिए नीति तय की गई है। राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने को होटलों, ढाबों में पके भोजन पर वैट की मौजूदा दर 13.50 फीसद को घटाकर पांच फीसद किया गया है। चमोली जिले में भराड़ीसैंण में विधानभवन और अन्य अवस्थापना निर्माण का जिम्मा विधानसभा के बजाए राज्य संपत्ति विभाग को देने का फैसला लिया गया है। वहीं औद्योगिक विकास विभाग से मध्यम, लघु और सूक्ष्म उद्योग विभाग अलग करने पर कैबिनेट ने हामी भर दी है। इस विभाग का अलग ढांचा तय किया गया है। भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 में उत्तराखंड की परिस्थितियों में संशोधन करते हुए जेल जाने के प्रावधान को शिथिल किया गया है। कैबिनेट बैठक में गुरुवार को दो मंत्रियों अमृता रावत और सुरेंद्र राकेश ने शिरकत नहीं की।
इनसेट-
चीनी के लिए इसतरह तय किया गया स्टाक:
नगर श्रेणी-थोक विक्रेता-फुटकर
क-300 कुंतल-150 कुंतल
ख-200 कुतल-100 कुंतल
अन्य शहर-100 कुंतल-50 कुंतल