लेह में -20 डिग्री तक लुढ़का पारा



 नए साल के पहले दिन पहाड़ों पर गिरी बर्फ अब पिघलने लगी है। पहाड़ों को छूकर आने वालीं तेज ठंडी हवाओं ने पूरे उत्तर भारत को अपने आगोश में ले लिया है। लगातार लुढ़क रहे पारे ने मुसीबतें और बढ़ा दी हैं। शुक्रवार को -20 डिग्री सेल्सियस के साथ लेह देश का सबसे ठंडा स्थान रहा। इन सर्दियों में पारा अभी तक इतना नीचे नहीं गया था। आगरा में 0.1 तो बीकानेर में 1.0 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड किया गया। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग सिर्फ जम्मू से श्रीनगर जाने वाले वाहनों के लिए खुला रहा। वादी में रेल और हवाई सुविधा भी सुचारु हो गई। उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान में सर्दी का सितम बरकरार है। पिछले कई दिनों से आगरा में खूब ठंड पड़ रही है। पंजाब व हरियाणा में धूप ने थोड़ी राहत प्रदान की। उत्तराखंड में मैदानी इलाकों के निवासी भीषण शीतलहर से ठिठुरते रहे। हिमाचल प्रदेश में दो दिन पूर्व ऊपरी क्षेत्रों में बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में बारिश के बाद मौसम साफ हो गया है। सुबह-शाम पड़ रहे कोहरे के कारण आवागमन प्रभावित हुआ।
मौसम विभाग ने सात जनवरी से प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने की बात कही है, जिससे लोगों को एक बार फिर बारिश व बर्फबारी से जूझना पड़ सकता है। जनजातीय क्षेत्र केलंग का न्यूनतम तापमान -12.4 डिग्री सेल्सियस चल रहा है। इसके अलावा चार अन्य इलाकों में भी तापमान जमाव बिंदु से नीचे रहा।

जम्मू-कश्मीर में हिमपात थमे 24 घंटे बीत जाने के बावजूद शीतलहर का प्रकोप कम नहीं हुआ है। रात में न्यूनतम तापमान जमाव बिंदु से नीचे है तो दिन में भी पारा सामान्य से औसतन आठ डिग्री सेल्सियस नीचे रहा। ठंड का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में न्यूनतम तापमान -1.6 डिग्री सेल्सियस रहा। न्यूनतम तापमान के जमाव बिंदु से नीचे रहने की वजह से डल झील समेत विभिन्न जल स्त्रोत के ऊपरी सतह पर जमी बर्फ की परत लगातार मोटी हो रही है। सुबह लोगों के घरों में नलों से पानी नहीं आता। पाइपों में पानी जम चुका होता है। शनिवार को वाहनों को राष्ट्रीय राजमार्ग के जरिये श्रीनगर से जम्मू जाने की अनुमति मिल जाएगी।