टैबलेट देने से मुकर गई अखिलेश सरकार?

लखनऊ के राजकीय इंटर कॉलेज के कक्षा 11वीं के छात्र विशाल कनौजिया, प्रमोद कुमार और प्रशांत टैबलेट देने की योजना फ़िलहाल रोकने की उत्तर प्रदेश सरकार की घोषणा से काफ़ी दुखी हैं.
विशाल का कहना है कि वह साल 2013 में 65 प्रतिशत अंक से 10वीं की परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके हैं लेकिन उन्हें टैबलेट नहीं मिला.


विशाल जैसे ही कई छात्र ऐसे हैं जिन्होंने 60 प्रतिशत से ज्यादा अंक प्राप्त कर 10वीं की परीक्षा पास की लेकिन, उन्हें भी टैबलेट नहीं मिला.उनका कहना है कि माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा टैबलेट पाने के लिए 10वीं कक्षा में 60 प्रतिशत से अधिक अंक अर्जित करने की शर्त रखी गई.
लखनऊ समेत पूरे प्रदेश के 10वीं पास छात्रों का हाल भी विशाल, प्रशांत और प्रमोद जैसा है.
इन छात्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विधान सभा चुनाव में ये वादा किया था कि अगर उनकी सरकार बनी तो 10वीं पास सभी छात्रों को टैबलेट दिए जाएंगे.
सरकार बनने के बाद की गई घोषणा के अनुसार, 2012 में दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके सभी छात्रों को टैबलेट दिया जाना था लेकिन 2012 से लेकर 2013 तक किसी भी छात्र को टैबलेट नहीं मिला.

25 लाख छात्र



उत्तर प्रदेश के 25 लाख से ज्यादा दसवीं पास छात्रों का टैबलेट पाने का सपना अधूरा रह गया.
कुछ छात्र कहते हैं कि पहले सरकार ने सभी छात्रों को टैबलेट देने की घोषणा की लेकिन बाद में 'वादे से मुकरते हुए 10वीं के छात्रों के सामने 60 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाने की शर्त रख दी'. छात्रों का कहना है, "ये तो सभी छात्रों के साथ सरासर धोखा है."
उल्लेखनीय है कि 2012 से 2013 तक 10वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्रों की संख्या 25 लाख से ज्यादा हो गई है.
बीबीसी से बातचीत में प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और राज्य के परियोजना निदेशक जितेंद्र कुमार कहते हैं कि सरकार ने 12वीं पास छात्रों को 15 लाख लैपटॉप बांट दिए हैं.
कुमार कहते हैं, ''टैबलेट बांटने की योजना पर सरकार काम कर रही है.''
दो सालों से टैबलेट नहीं बँट पाने और आगे भविष्य में इसके वितरण पर खड़े हो रहे सवाल पर जितेंद्र कुमार कहते हैं कि प्रदेश में 10वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्रों की संख्या लाखों में होती है और उनमें से अधिकतर छात्र हिंदी माध्यम से शिक्षा ग्रहण करते हैं.

हिंदी की समस्या

उनका कहना है कि टैबलेट में पड़ने वाले सॉफ़्टवेयर और अन्य वर्जन अंग्रेजी में होते हैं, जिसे हमारे प्रदेश के छात्रों को समझने में दिक्कत होती है. इसलिए टैबलेट के वितरण को फिलहाल रोका गया है.
प्रमुख सचिव के मुताबिक़, ''जिन कंपनियों ने टैबलेट की आपूर्ति करने का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा था, उन सभी कंपनियों के टैबलेट का सॉफ़्टवेयर पूरी तरह से अंग्रेजी वर्जन से लैस था, इसलिए अभी तक किसी कंपनी को टैबलेट की आपूर्ति करने के लिए अधिकृत नहीं किया जा सका.''
जितेंद्र बताते हैं, ''जब कोई कंपनी टैबलेट में हिन्दी सॉफ़्टवेयर और वर्जन उपलब्ध कराने के प्रस्ताव के साथ सरकार के पास आवेदन करेगी तो उस पर विचार किया जाएगा. सरकार की ओर से टैबलेट वितरण को बंद करने की कोई योजना नहीं है.

आर्थिक स्थिति ने रोके हाथ

उधर माध्यमिक शिक्षा विभाग और वित्त विभाग के सूत्रों का कहना है कि प्रदेश सरकार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण जहां लैपटाप वितरण की गति काफी धीमी हो गई है वहीं टैबलेट बांटने की योजना पर पूरी तरह से विराम लगने की संभावना है.
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने टैबलेट वितरण करने के लिए 2012-13 के बजट में 350 करोड़ रुपयों का प्रावधान किया था.
विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक कहते हैं कि अखिलेश यादव ने प्रदेश के 10वीं पास लाखों छात्रों के साथ धोखा किया है.
पाठक कहते हैं, ''सभी छात्रों को टैबलेट देने का ख्वाब दिखाकर वोट तो हासिल कर लिए लेकिन जब टैबलेट देने की बारी आई तो अपने वादे से मुकर गए.''


बसपा और कांग्रेस ने भी अखिलेश यादव सरकार पर प्रदेश के 10वीं पास लाखों छात्रों के साथ वादाखिलाफी का आरोप लगाया है.